के बुद्ध, विष्णुका अवतार हुन् वा विष्णु, बुद्धका के अवतार हुन्?
के बुद्ध, विष्णुका अवतार हुन् वा विष्णु, बुद्धका के अवतार हुन्?
यस प्रश्नको उत्तर मिश्रित आउन सक्छन । समाजमा अनेक प्रकारका आ-आफ्नै तर्कहरु छन् । कुनै शास्त्रीय आधार नै नलिई स्वर्निर्मित कथाहरु बताउने गर्दछन। हेरौ यहाँ शास्त्रीय श्लोकहरु (स्तोत्रम) जस्ताको तस्तै ।
- श्रीमद भागवतम १ .२ .२४ भविष्यवाणी।
तत: कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम्।
बुद्धो नाम्नाञ्जनसुत: कीकटेषु भविष्यति ॥ 24 ॥
अर्थात: कलियुग की शुरुआत में भगवान, अंजना के पुत्र, बुद्ध रूप में बिहार के गया प्रांत में अवतरित होंगे। इस अवतार का प्रयोजन होगा निष्ठावान आस्तिकों से ईर्ष्या रखने वालों को भ्रमित करना।
- फिर श्रीमद भागवतम 2.7.37 में भगवान के बुद्ध अवतार का प्रयोजन समझाया गया है।
देवद्विषां निगमवर्त्मनि निष्ठितानां
पूर्भिर्मयेन विहिताभिरदृश्यतूर्भि:।
लोकान् घ्नतां मतिविमोहमतिप्रलोभं
वेषं विधाय बहु भाष्यत औपधर्म्यम् ॥ 37 ॥
पूर्भिर्मयेन विहिताभिरदृश्यतूर्भि:।
लोकान् घ्नतां मतिविमोहमतिप्रलोभं
वेषं विधाय बहु भाष्यत औपधर्म्यम् ॥ 37 ॥
अर्थात: जब सभी नास्तिक वेदिक वैज्ञानिक ज्ञान में पारंगत होने के बाद दूसरे लोकों में रहने वालों का संघार करेंगे, बिना दिखे बड़े-बड़े अंतरिक्ष यानों में उड़ेंगे जो की माया द्वारा निर्मित होंगे तब भगवान ऐसा आकर्षक बुद्ध रूप लेकर धरती पर अवतरित होंगे जिससे नास्तिक भ्रमित हो जाए और फिर वे उन्हें उप धार्मिक सिद्धांतों यानि कम महत्व वाले सिद्धांतों का पाठ पढ़ाएंगे।
और देखा जाए तो भगवान बुद्ध ने अधर्मी नास्तिकों को धर्म के मार्ग पर लाने का ही तो काम किया और सारी नास्तिकों से भरी दुनिया को जो वेदों का हवाला देकर जानवरों का बेमतलब संघार कर रही थी उससे वेदों को न मानने को कहकर भ्रमित कर दिया।
- फिर गरुड़ पुराण 3.15.26 में बताया गया है भगवान बुद्ध क्या करेंगे।
तत: कलौ संप्रवृत्ते हार्रिस्तु।
संमोहनार्थं चासुरणां खगेन्द्र। ।
संमोहनार्थं चासुरणां खगेन्द्र। ।
नाम्ना बुद्धो कीकटेषु प्रजातो।
वेदप्रमाणम निराकर्तुमेव। । 26। । GP 3.15.26। ।
अर्थात: फिर काली युग में भगवान, बुद्ध के रूप में कीकटों में पैदा हुए थे। उन्होंने असुरों को भड़काया और वेदों की धज्जियाँ उड़ा दीं।
और भी बहुत सारी जगहों पर भगवान के बुद्ध अवतार का वर्णन मिलता है जैसे हरिवंश पुराण (1.41),विष्णु पुराण (3.18),नारद पुराण (2.72), पद्मा पुराण (3.252) इत्यादि।
अब जैसे की हम समझ ही गए हैं की भगवान बुद्ध, भगवान के अवतार हैं।
अब ये जान लेते हैं कि कैसे विष्णु अथवा नारायण भी भगवान के अवतार हैं:
- श्रीमद भागवतम 1.3.1 में बताया गया हैं कैसे भगवान अपने आप को विस्तृत करते हैं ताकि संसार कि रचना की जा सके।
जगृहे पौरुषं रूपं भगवान्महदादिभि:।
सम्भूतं षोडशकलमादौ लोकसिसृक्षया ॥ 1 ॥
अर्थात: सूत ने कहा: सृष्टि की शुरुआत में, भगवान ने सर्वप्रथम अपने आप को सर्वव्यापी पुरुष अवतार के रूप में विस्तारित किया और भौतिक निर्माण के लिए सभी आवश्यक सामग्री को प्रकट किया और इस प्रकार सबसे पहले भौतिक क्रिया के सोलह सिद्धांतों का निर्माण हुआ। यह सामग्री ब्रह्मांड बनाने के उद्देश्य से थी।
ये हैं भगवान का प्रथम अवतार, सर्वव्यापी पुरुष जिसे करणोदकशाई विष्णु कहते हैं।
- श्रीमद भागवतम 1.3.2 में बताया गया है भगवान के दूसरे अवतार विष्णु भगवान हैं, जिनकी नाभि से निकले कमल से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ।
यस्याम्भसि शयानस्य योगनिद्रां वितन्वत:।
नाभिह्रदाम्बुजादासीद्ब्रह्मा विश्वसृजां पति: ॥ 2 ॥
अर्थात: पुरुष का एक भाग ब्रह्मांड के पानी के भीतर स्थित है, उसके शरीर की नाभि झील से एक कमल का तना निकलता है और इस तने के ऊपर कमल के फूल से ब्रह्मा, ब्रह्मांड के सभी इंजीनियरों के गुरु प्रकट होते हैं।
हम सभी भी इसी व्यक्ति को विष्णु जी (गर्भोदकशायी विष्णु) जानते और समझते हैं जिसकी नाभि से कमल का फूल निकलता हैं, जिससे ब्रह्मा का जन्म होता हैं और ये भगवान का दूसरा अवतार हैं।
अब ये भी स्थापित हो गया हैं कि विष्णु जी भी भगवान के अवतार हैं।
असल भगवान कौन है इसकी चर्चा किसी और उत्तर में करेंगे।
अब मुझे लगता हैं अपने गुरुओं और अग्रजों के आशीर्वाद से मैंने ये स्थापित कर दिया है कि कौन किसका अवतार है।
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